आजकल वाट्स एप पर एक मेसेज बहुत चल रहा हैं कि एक बुज़ुर्ग मोबाइल वाले से कहता है कि मेरा फोन ख़राब है। दुकानदार बताता है कि आपका फोन ठीक है। बुज़ुर्ग आँखों में आंसू लिए कहता है कि फिर मेरे बच्चो के फोन क्यों नही आ रहे। इसके आगे का मेसेज पढ़िए फिर वो दुकानदार बैलेंस चेक करता है तो पाता है कि बुज़ुर्ग के फोन में 500 का बैलेंस है। दुकानदार बुज़ुर्ग के फोन से उनके बेटे/बेटी को फोन लगाता है और सारा घटनाक्रम सुनाता हैतब उस बुज़ुर्ग का बेटा/बेटी दुकानदार से उनसे बात कराने को कहता है और बुज़ुर्ग से कहता/कहती है कि पापा मैंने आपको फोन इसलिए दिया है ताकि आप जब चाहे जिस समय चाहे मुझे फोन कर सके। कोई तकलीफ हो तो बता सके। इसलिए नही कि आप मेरी मर्जी हो तभी मुझसे बात कर सके। अगर मुझे आपसे बात करने में परेशानी होती तो मै आपको फोन क्यों देता/देती। पापा आपके संस्कार हमारी रगों में है। हम किसी विदेशी सभ्यता या संस्कार वाले देश के बच्चे नही हैं। हम भारतीय हैं। हम अपने बुजुर्गो का सम्मान करना जानते हैं।मैं मानता/मानती हु कि काम क़ी व्यस्तता होने के कारन आपसे कभी कभी खुद बातचीत नही कर पाते। क्युक
सत्य, अहिंसा, अस्तेय, ब्रह्मचर्य, अपरिग्रह जन्म से जैन होना भी सौभाग्य की बात है, पर उससे भी परम सौभाग्य की बात है.. जीवन में दया, क्षमा, सत्य, शील, संतोष, सदाचार आदि जैनत्व के संस्कार आना