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सितंबर, 2016 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

14 dereams of mata trishla

महारानी त्रिशला के 14 शुभ स्वप्न... भगवान महावीर के जन्म से पूर्व एक बार महारानी त्रिशला नगर में हो रही अद्भुत रत्नवर्षा के बारे में सोच रही थीं, यह सोचते-सोचते वे ही गहरी नींद में सो गई, उसी रात्रि को अंतिम प्रहर में महारानी ने 14 शुभ मंगलकारी स्वप्न देखे। वह आषाढ़ शुक्ल षष्ठी का दिन था। सुबह जागने पर रानी के महाराज सिद्धार्थ से अपने स्वप्नों की चर्चा की और उसका फल जानने की इच्छा प्रकट की। राजा सिद्धार्थ एक कुशल राजनीतिज्ञ के साथ ही ज्योतिष शास्त्र के भी विद्वान थे। उन्होंने रानी से कहा कि एक-एक कर अपना स्वप्न बताएं। वे उसी प्रकार उसका फल बताते चलेंगे, तब महारानी त्रिशला ने अपने सारे स्वप्न उन्हें एक-एक कर विस्तार से सुनाएं। आइए जानते है भगवान महावीर के जन्म से पूर्व महारानी द्वारा देखे गए चौदह अद्भुत स्वप्न :- पहला स्वप्न :-   स्वप्न में एक अति विशाल श्वेत हाथी दिखाई दिया।          फल  : ज्योतिष शास्त्र के अनुसार राजा सिद्धार्थ ने पहले स्वप्न का फल बताया : उनके घर एक अद्भुत पुत्र-रत्न उत्पन्न होगा। दूसरा स्वप्न : श्वेत वृषभ।       फल : वह पुत्र जगत का कल्या

What PARYUSHAN means...?

What PARYUSHAN means...? 💎   PARYUSHAN means Festival of self friendship and realisation of soul. Festival of sacrifice, penance & endurance. Festival of soul purification & self search, time to keep aside the post, wealth & prestige & be with the God. The  time to forget & forgiveness make the enemy a friend & increase the   【  LOVE and KINDNESS  】 🚩 1st - Day of Paryusan: The day of making the mind & soul pure and concentrate in VITRAAG 🚩 2nd - Day of Paryushan: On this day with the help of our kind speech spread the fragrance of inspiring virtues & constructive activities. Donate with free hand & become a KING. 🚩 3rd - Day of Paryushan: To make the Mind (soul) & Body Pure and pious with the self of sacrifice & penance. Self control & friendship is also practice. Meditation for enlightment. 🚩 4th - Day of Paryushan: Rare occasion of gaining AATMA-LAXMI 🚩 5th - Day of Paryushan: The day of "KALPASUTRA" sac

तीर्थंकर परमात्मा जी के नव अंग की ही पूजा क्यों की जाती है ?

तीर्थंकर परमात्मा जी के नव अंग की ही पूजा क्यों की जाती है ? नव अंग १. अंगूठा २. घुटना ३. हाथ ४. कंधा ५. मस्तक ६. ललाट ७. कंठ ८.  हृदय ९. नाभि ॥ तीर्थंकर परमात्मा जी के नव अंग की ही पूजा क्यों की जाती है ? प्रश्न १.- अंगूठे की पूजा क्यो की जाती है ? उत्तर - तीर्थंकर परमात्मा जी ने केवलज्ञान करने के लिए तथा आत्म कल्याण हेतु जन~जन को प्रतिबोध देने के लिए चरणों से विहार किया था, अतः अंगूठे की पूजा की जाती है ! प्रश्न २-. घुटनों की पूजा क्यों की जाती है ? उत्तर .- घुटनों की पूजा करते समय यह याचना करनी चाहिए की ~•~हॆ परमात्मा~•~ साधना काल मे आपने घुटनों के बल खडे रह कर साधना की थी और केवलज्ञान को प्राप्त किया था मुझे भी ऎसी शक्ति देना की में खडे~खडे साधना कर सकु ॥ प्रश्न ३-. हाथ की पूजा क्यो कि जाती है ? उत्तर- तीर्थंकर परमात्मा जी ने दिक्षा लेने से पूर्व बाह्म निर्धनता को वर्षिदान देकर दुर किया था और केवलज्ञान प्राप्ति के बाद देशना एवं दिक्षा देकर आंतरिक गरीबी को मिटाया था उसी प्रकार मे भी संयम धारण कर भाव द्रारिद्र को दुर कर संकू ! प्रश्न ४.- कंधे की पूजा क्यों की जाती