A video journey of 28 Akhand Jyoti Jain Mandir, Jodhpur, Rajasthan जहाँ जून, 1993 से 28 अखंड ज्योति दीपक (27 शुद्ध घी व एक मूंगफली के तेल से) चोबीस घंटे (Round the Clock) प्रज्वलित है | विस्मय है – इन सभी ज्योतियों में जून 1993 से काले काजल की अपेक्षा पीला चन्दन एवं नवम्बर, 2008 से इन ज्योतियों में केसर की पंखुडियाँ झुलती हुई दिखाई देने लगी है | अति विस्मय है- मूंगफली के तेल से प्रज्वलित एक ज्योति में अत्यंत केसरिया रंग का चन्दन एकत्रित होता हैं | जबकि घी के दीपक की अपेक्षा तेल का दीपक सर्वाधिक कला होना चाहिए | अति अति विस्मय- जहाँ ज्योति में जून 2009 से सफ़ेद चन्दन एकत्रित होता है| अ) वैदिक धर्मशास्त्रों के अनुसारसफ़ेद चन्दन के वृक्ष – जंगल केवल देवलोक में ही उपलब्ध हैं | देवलोक में देवता भगवान शिव की पूजा सदैव सफ़ेद चन्दन से किया करते हैं | यही कारण हैं की पृथ्वीलोक में भगवन शिव पर ॐ की आकृति सफ़ेद रंग में ही अंकित की जाती हैं | ब) जैन मतानुसार सफ़ेद चन्दन के वृक्ष – जंगल मे मल्यागिरी पर्वत में है | इसी जंगल में माँ चक्रेश्वरी का निवास है और इस मंदिर में केसरिया कुंथुनाथ से माँ