मंगलम् भगवान वीरो,मंगलम् गौतमो प्रभु ॥ मंगलम् स्थूलिभद्राचायॅ, जैन धमोंस्तु मंगलम्"॥
सत्य, अहिंसा, अस्तेय, ब्रह्मचर्य, अपरिग्रह जन्म से जैन होना भी सौभाग्य की बात है, पर उससे भी परम सौभाग्य की बात है.. जीवन में दया, क्षमा, सत्य, शील, संतोष, सदाचार आदि जैनत्व के संस्कार आना