कार्तिक अमावस्या की रात्रि पावानगरी की पुण्यभूमि पर तीर्थंकर महावीर भगवान् ने अपने सभी कर्मों का क्षय किया और सिद्ध-बुद्ध-मुक्त हुए।।
एक प्रचंड ज्ञान ज्योति सहसा लुप्त हो गयी, संसार में सघन अन्धकार छा गया। क्षण भर के लिए स्वर्ग भी अन्धकार में व्याप्त हो गया।
इधर ज्ञान का दिव्य भास्कर अस्त हो गया, प्रकृति भी अन्धकार फैला रही थी, अत: उस अन्धकार को दूर करने के लिए देवताओं ने रत्नों के दीपक जलाकर प्रकाश किया।
भगवान् कर्म-बंधनों से मुक्त होकर निर्वाण को प्राप्त हुए अत: उनका देहत्याग भी उत्सव के रूप में परिणत हो गया। देवताओं के गमना-गमन से भूमंडल आलोकित हो गया। मनुष्यों ने भी दीपक जलाये, चारों ओर प्रकाश ही प्रकाश फैल गया। तब से कार्तिक अमावस्या को प्रभु महावीर निर्वाण कल्याणक के दिन दीपावली पर्व मनाया जाने लगा।।
भगवान् महावीर निर्वाण कल्याणक एवं दीपावली पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ ।।
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