जिनमन्दिर सम्बन्धी 84 आशातनाये हमारे महान जैन धर्म में मंदिर में प्रवेश करने के बाद मंदिर के प्रति भी 84 आशातनाये मानी गई है और इन 84 आशातनाओ का हमको निषेध मानकर बहुत ध्यान रखना चाहिए ....... 84 आशातनाये इस प्रकार की होती है .... १ - श्री जिनमन्दिर में खांसना ( कफ थूकना )| २ - जुआ , ताश , शतरंज , चौपड , किरकेट आदि कोई गैर मर्यादितखेल खेलना | ३ - कलह करना या जोर जोर से चिल्लाकर बोलना | ४ - धनुष , बन्दुक , तलवार , चाक़ू , लाठी आदि से निशाना लगाना या खेल दिखाना | ५ - कुल्ला करना | ६ - दांत को किसी चीज़ से कुचरकर मेल निकालना | ७ - तम्बाकू , पान या गुटखा आदि खाकर पिक थूकना | ८ - मंदिर परिसर में रात को रुकना | ९ - गाली गलोच , अपशब्द बोलना | १० - संडासया पेशाब करना | ११ - हाथ धोना | १२ - खरुंत आदि कुचरकर निकालना | १३ - कंघी आदि से बालो को सवारना | १४ - नख काटना या मुह से कुतरना | १५ - खून आदि गिर रहा हो तो भी परिसर में प्रवेश करना
सत्य, अहिंसा, अस्तेय, ब्रह्मचर्य, अपरिग्रह जन्म से जैन होना भी सौभाग्य की बात है, पर उससे भी परम सौभाग्य की बात है.. जीवन में दया, क्षमा, सत्य, शील, संतोष, सदाचार आदि जैनत्व के संस्कार आना