क्षमापना का एक महापर्व है| पर्युषण महापर्व के आठ दिन क्षमादान के सिद्धांतो को मानते हुए हम संवत्सरी के दिन क्षमावाणी का पर्व मानते है| इस दिन जैन समाज का हर सदस्य अपने मित्रो, रिश्तेदारों से मन, वचन, काय से क्षमा मांगते है |
जाने अनजाने में, हमारे द्वारा हुई भूलो के लिये हम ह्रदय से दोनों हाथ जोड़कर क्षमा प्राथी है | मिच्छामी दुक्कडम |
जाने अनजाने में हम से कोई भूल हुई या हमने आपका दिल दुखाया हो तो मन, वचन, काया से "मिच्छामी दुक्कडम "
समभाव रखते हुए "पर्युषण" महापर्व पर हम आपसे
मन, वचन, काया से "क्षमा याचना" करते है |
जय जिनेन्द्र
भूल से अगर कोई भूल हो गई ,
तो भूल समझकर भूल जाना,
मगर भूलना सिर्फ भूल को,
भूल से हमें मत भूल जाना |
मिच्छामी दुक्कडम
कर जाते है शरारत क्योंकि थोड़े शैतान है हम,
कर देते है गलती क्योंकि इन्सान है हम |
ना लगाना हमारी बातों को दिल से,
आपको तो पता है कितने नादान है हम |
मिच्छामी दुक्कडम
जाने में अनजाने में,
मन के वचन सुनने में,
अगर टुटा हो आपका मन,
तो क्षमावाणी के पर्व पर दे दीजिये,
हमें क्षमा का दान |
मिच्छामी दुक्कडम
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छोटा सा संसार,
गलतिया अपार,
आपके पास है क्षमा का अधिकार,
कर लीजिये निवेदन स्विकार,
मिच्छामी दुक्कडम
दो शब्द क्षमा के जीवो को खुशहाल करते है,
टकराव दूर होता है, खुशिया हज़ार देते है|
खुश रहे खुशिया बाटे महान उसे कहते है|
अंतरमन से क्षमायाचना |
१ दिन के २४ घंटे
१ घंटे के ६० मिनिट
१ मिनिट के ६० सेकंड
एक हजार लम्हे
हजार लम्हे में १ ही आवाज
मिच्छामी दुक्कडम
भुल होना प्रकृति है,
मान लेना संस्कृति है,
इसलिये की गई गलती के लिये
हमें क्षमा करे |
मिच्छामी दुक्कडम
सुरज जैसे अंधेरा दूर करे, पानी जैसे प्यास दूर करे,
वैसे ही पर्युषण क्षमावाणी पर्व पर आप हमारी
सारी गलतीयों और भूल-चुक को क्षमा करे |
मिच्छामी दुक्कडम
इस छोटी सी ज़िन्दगी में,
हमारी आपकी छोटी सी मुलाकात में,
कभी भी, कहीं भी, हमारी वजह से,
आपकी चाँद सी मुस्कान चली गई होतो,
हमें क्षमा करे | मिच्छामी दुक्कडम
मन, वचन, काया से जानते हुए,
अजान्ते हुए आपका दिल दुखाया होतो,
आपसे मिच्छामी दुक्कडम |
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जीवन यात्रा में चलते चलते,
स्वार्थ, मोह, अज्ञानतावश,
हुई समस्त भूलो के लिये,
सच्चे स्वच्छ ह्रदय से,
क्षमायाचना करते हुए,
हम आपके स्नेह मैत्री भाव की कामना करते है |
कुछ गलतियाँ जानते,
कुछ गलतियाँ अजानते,
कुछ कडवी वाणी से,
किसी कारण आपका दिल दुखाया होतो,
मन वचन काय से मिच्छामी दुक्कडम |
"क्षमा वीरस्य भूषणं"
विगत वर्ष में जाने अनजाने में
हमारी कोई भूल से आपके कोमल दिल को
ठेस लगी हो तो मन, वचन, काया से मिच्छामी दुक्कडम |
३६५ दिन, १२ महीने, ५२ सप्ताह,
८७६० घंटो, ५२५६०० मिनिटों, ३१५३६००० सेकंड्स
में हमारे तरफ से कोई जाने अनजाने में गलती हुई हो
या दिल दुखाया हो तो बारम्बार हाथ जोड़कर मिच्छामी दुक्कडम |
आपके सुख की हरदम प्रभु से करते कामना,
अनजाने में तीर चल जाते है जिंदगीका करते सामना,
आपका दिल दुखे ऐसी नहीं थी हमारी भावना,
फिर भी भूलवश हुई गलती के लिये,
दोनों हाथ जोड़कर करते है क्षमायाचना |
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सूर्य जैसे तेजस्वी,
चाँद जैसे शीतल ,
गगन जैसे विशाल,
नदी जैसे निर्मल,
आपके परिवार को मिच्छामी दुक्कडम |
अनजाने में , अनचाहे भी, भूल कभी भी हो सकती है,
जीवन के उन क्रूर पलों में, भूल भी हो सकती है,
जीवन के उन क्रूर पलों की, भूल हमारी माफ़ करे,
क्षमा पर्व है, क्षमा दान है, क्लेश का अंत करे,
"परस्परोपग्रहो जीवानाम"
महावीर के वचन,
पार्श्व के जीवन,
रिषभ का तप,
नेम की चर्या,
कुमारपाल की आरती,
चंदनबाला के आंसू,
त्रिशला माता के सपने और,
कल्पसूत्र के पन्ने,
इतिहास के गर्व
Happy पर्युषण पर्व
वो सुबह का भक्ताम्बर,
वो शाम का प्रतिकमण,
वो संतो के प्रवचन,
वो रात्री भोजन का त्याग,
वो जैनों की धूम,
मुबारक हो पर्युषण पर्व |
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