“ नमो अरिहंताणं ”
हे अरिहंत परमात्मा !
आपने बाह्य शत्रुओं पार नहीं, आतंरिक शत्रुओं पार विजय प्राप्त की है
में भी मेरे कषायो और अवगुणों पर विजय प्राप्त कर संकू,
ऐसी मेरी साधना हो!
“ नमो सिद्धाणं ”
हे सिद्ध परमात्मा !
आपके जैसी पूर्ण निष्पापता कि अवस्था में मैं कब आ पाउँगा?
पर आज आंशिक निष्पाप जीवन शैली जी संकू,
ऐसी मेरी साधना हो!
“ नमो आयरियाणं ”
है आचार्य भगवंत !
आप ही तो हो मेरी आत्मा के अनुशासक !
आपके चरणों में रहकर आपके जैसा आचरण करू,
ऐसी मेरी साधना हो!
“ नमो उवझ्झाया उव्ज्झायाणं ”
हे उपाध्याय भगवंत !
आपकी कृपा से मेरा अप्रकट ज्ञान प्रकट हो
और मुक्ति मंजिल कि और मुझे सही दिशा व द्रष्टि मिले,
ऐसी मेरी साधना हो!
“ नमो लोए सव्वसाहूणं ”
हे सर्व साधू भगवंतों !
आपने पंच महाव्रत स्वीकार कर छठवें गुणस्थानक में स्थान प्राप्त किया है |
इस भाव में या भविष्य में मै भी मोक्ष लक्ष्य के साथ पंच महाव्रत स्वीकारू ,
ऐसी मेरी साधना हो!
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