जीव अकेला आता है और अकेले जाता है उसे * एकम * कहेते हैं। जीव दो प्रकार का धर्म का पालन करता है उसे * बीज * कहेते हैं। जीव देव-गुरु-धर्म कि आराधना करता है उसे * त्रीज * कहेते हैं। जीव दा...
सत्य, अहिंसा, अस्तेय, ब्रह्मचर्य, अपरिग्रह जन्म से जैन होना भी सौभाग्य की बात है, पर उससे भी परम सौभाग्य की बात है.. जीवन में दया, क्षमा, सत्य, शील, संतोष, सदाचार आदि जैनत्व के संस्कार आना