जीव अकेला आता है और अकेले जाता है उसे *एकम* कहेते हैं।
जीव दो प्रकार का धर्म का पालन करता है उसे *बीज* कहेते हैं।
जीव देव-गुरु-धर्म कि आराधना करता है उसे *त्रीज* कहेते हैं।
जीव दान,,शील,, तप,, और भाव आदरता है उसे *चोथ* कहेते हैं।
जीव पाँच इन्द्रियों को वश में रखता है उसे *पाँचम* कहेते है।
जीव छ: काय के जिवोकी रक्षा करता है उसे *छठ्ठ* कहेते हैं।
जीव सात कुव्यसन को त्यागता है उसे *सातम* कहेते है।
जीव आठ प्रकार के कर्मो को खपाने का प्रयत्न करता है उसे *आठम* कहेते हैं।
जीव ब्रह्मचर्य के नव-वाड पालन करनेका प्रयत्न करता है उसे नम या *नवम* कहेते हैं।
जीव दस प्रकार के यति धर्म की अनुमोदना करता है उसे *दसम* कहेते हैं।
जीव श्रावक की ग्यारह पडिमा धारे उसे *अगियारस* कहेते हैं।
जीव बारह प्रकार की भावना भाये उसे *बारस* कहेते हैं।
जीव तेरह काठिया दूर करने का प्रयत्न करे उसे *तेरस* कहेते हैं।
जीव चौदह नियमों का पालन करे उसे *चौदस* कहेते हैं।
जीव पंद्रह भेदे शुद्ध नियम पाले उसे *पुनम* कहेते है।
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