✍️दीक्षा में ओघा लेते देखने की तड़प के पीछे का असली राज ....
भव्य दीक्षा महोत्सव❤️🌹
🔹पूरा मंडप खचाखच भरा हुआ।
संगीत की धुन संयमऔर गुरु की
आज्ञानुसार विधि करते मुमुक्षु।
🔸और वो शुभ घड़ी आयी और गुरुदेव के हाथों ओघा मिलते ही नाचते मुमुक्षु को देख पल भर के लिए तो आँखे भीनी हो जाती है
🔸और सभा इस वैरागी ने वन्दन गा उठती है वैसे ही जब दीक्षा का विदाई समारोह होता है तो रात को 11/12 बजे तक बिना प्रभावना के लोग बैठे रहते है कि कब दीक्षार्थी का स्पीच हो और वो उसे सुने
🔹आज भारत भर में जगह जगह पर सैकड़ो दीक्षाएं हो रही है फिर हर दीक्षा महोत्सव में इतनी की इतनी भीड़ व् उत्साह देखने को मिलता है क्यू ?आखिर क्यू?
जो व्यक्ति ज्यादा क्रियात्मक धर्म आदि नही करता जिन आज्ञा का पालन भी नही करता पर दीक्षा मंडप में दीक्षा देखने तो पहुंच ही जाता है!*
🔹इन सब बातों का सार इतना ही निकलता है भले ही आज हमारा मन संसार के रंगों में रंगा हो पर इसकी असारता का अहसास सब को है संसारी मन पाप के बोझ तले इतना दब चूका है कि उसे अपनी अंतरात्मा की आवाज सुनाई ही नही देती पर जब भी ऐसे दीक्षा के प्रसंग आते है पापी हो या पुण्य शाली एक बार तो नत मस्तक हो ही जाता है
🔹बस यही है अपना #अहो_जिनशासन,* जिसकी बात निराली !
🔸आज 2500 वर्षो के बाद भी भले ही दुनिया कहा से कहाँ पहुंच गयी पर अभी भी #वीर_पाट_परम्परा में कोई बदलाव नही।
🔹कम्यूटर के इस युग में साधु जीवन यानी दुनिया का आठवां अजूबा।
🔸समय भले ही कितने साल पूरे कर ले पर आज भी अपने जैन धर्म में दीक्षाएं उसी रीती रिवाज और प्रभु की आज्ञा अनुसार होती है...
शादी यो में पल्लू सर से उतर गए पर अभी भी अपने #साध्वी_भगवंत के #खुले_सर कभी नही होते।
वो ही #केश_लुंचन की विधि...
वो ही #नंगे_पांव_विहार तो...
😷 वो ही छः काय के जीवों की #जयना_का_पालन...
वो ही #गोचरी की पद्धति...
वो ही गुरु के प्रति समर्पण...*
ज्यादातर सब कुटुंब अभी संयुक्त के बदल विभक्त ही है तब वही सुखी घरों की बेटिया दीक्षा के बाद एक ही हॉल में 20 हो या 25 आराम से एडजस्ट कर लेती है
🔹ऐसा सिर्फ जैन धर्म में ही देखने को मिलता है कि आज भौतिक सुविधाओं में डूबा इंसान एक दिन भी बिना पंखे लाइट मोबाईल के नही जी सकता वही अपने जैन साधु बिना नहाए ,बिना कांच में मुँह देखे अपना जीवन बिता देते है ,सच में साधु जीवन को अगर हम रोज नजदीक से देखे तो अपने पापमय जीवन की इच्छाएं अपेक्षाये अपने आप ही कम होती चली जायेगी !
🔸बस ऐसे महान मार्ग पर चलने वालों की अनुमोदना के लिए ही हर कोई दीक्षार्थी के ओघे लेने के दृश्य को जरूर अपनी आँखों से देखना चाहता है ताकि उसके जीवन में कुछ तो त्याग की भावना प्रगट हो!
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