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पर्वाधिराज पर्युषण पर्व

पर्व पर्युषण का महत्त्व

श्वेताम्बर परंपरा 8 दिनों तक पर्युषण महापर्व की तथा  दिगंबर परंपरा में  दस दिनों तक पर्युषण (दशलक्षण महापर्व) की आराधना की जाती है । पर्युषण जैन धर्म का सबसे बड़ा पर्व है और धर्म साधना के लिए सबसे उत्तम समय है . इस समय में हम विविध प्रकार से धर्म आराधना एवं साधना कर सकते है हम अपने वाणी का, खाने का,पहनने का ,संयम कर के भी साधना कर सकते है . रोजाना एक सामायिक जरुर करे l हो सके तो प्रतिक्रमण भी करे l जीवन में कष्टों को दूर करने के ये सबसे उत्तम समय है .. जैन धर्म में सबसे उत्तम पर्व है पर्युषण। यह सभी पर्वों का राजा है। इसे आत्मशोधन का पर्व भी कहा गया है, जिसमंम तप कर कर्मों की निर्जरा कर  अपनी काया को निर्मल बनाया जा सकता है। पर्युषण पर्व को आध्यात्मिक दीवाली की भी संज्ञा दी गई है। जिस तरह दीवाली पर व्यापारी अपने संपूर्ण वर्ष का आय-व्यय का पूरा हिसाब करते हैं, गृहस्थ अपने घरों की साफ- सफाई करते हैं, ठीक उसी तरह पर्युषण पर्व के आने पर जैन धर्म को मानने वाले लोग अपने वर्ष भर के पुण्य पाप का पूरा हिसाब करते हैं। वे अपनी आत्मा पर लगे कर्म रूपी मैल की साफ-सफाई करते हैं। यदि हम

जपो नवकार, होए भाव पार

  नवकार में ही आस्था, Navkar is a Faith, नवकार में ही विश्वास,   Believe in the Navkar, नवकार में ही शक्ति, Power in the Navkar, नवकार में ही सारा संसार, Whole world is inside the Navkar, नवकार से ही होती है अच्छे दिन की शुरुआत, Good start of the day is Navkar, नवकार से दूर होता कर्मो का अंधकार, Navkar removes the darkness of deeds, नवकार से मिलता है मोक्ष का प्रकाश… Navkar is the way to meets light of salvation

आत्मा में परमात्मा

संपूर्ण विश्व में एकमात्र जैन धर्मं ही इस बात में आस्था रखता हैं की प्रत्येक आत्मा में परमात्मा बनने की शक्ति विद्यमान हैं . अर्थात भगवन महावीर स्वामी की तरह ही प्रत्येक व्यक्ति जैन धर्मं का ज्ञान प्राप्त करके उसमे सच्ची आस्था रखकर , उस अनुसार आचरण ( कर्म ) करके बड़े पुण्योदय से उसे प्राप्त दुर्लभ मानव योनी का ' एक मात्र सच्चा व अंतिम सुख ' संपूर्ण जीवन जन्मा - मरण के बंधन से मुक्त होने वाले कर्म करते हुए मोक्ष महाफल पाने हेतु कदम बढ़ाना तथा उसे प्राप्त कर वीर महावीर बन दुर्लभ जीवन की सार्थक कर सकता है

जियो और जीने दो | Live and Let Live

भगवान   महावीर स्वामी द्वारा इस सन्देश में संपूर्ण जैन धर्मं का आधार व्यक्त किया गया हैं . भगवान महावीर स्वामी ने हमें अहिंसा का पालन करते हुए सत्य के पक्ष में रहते हुए किसी के हक को मारे बिना किसी को सताए बिना , अपनी मर्यादा में रहते हुए पवित्र मन से , लोभ लालच किये बिना , नियम से बंधकर सुख दुःख में समभाव में रहते हुए आकुल व्याकुल हुए बिना धर्मसंगत कर्म करते हुए ' मोक्ष पद ' पाने की और कदम बढ़ते हुए दुर्लभ जीवन को सार्थक बनने का दिव्य सन्देश दिया हैं क्या आपने वीर महावीर स्वामी बनने के पथ पर कदम बड़ा दिए हैं या यूँही दुर्लभ जीवन के बहुमूल्य पल गँवा रहे हो ?

Navkar Mantra

Mahamantra Navkar

Jain Tirth - Muchhala Mahaveer Ji

जैन तीर्थ - मुछाला म हावीर जी

Jain Tirth - Ranakpur ji (rj.)

जैन तीर्थ - रणकपुर जी (राजस्थान)

Shri Chintamani Aadeshwar Bhgwan - Iswal (Rj.)

श्री चिंतामणि आदेश्वर भगवान - तीर्थ इसवाल (राजस्थान)

Jain Tirth BamanwarJi - Rajsthan

जैन तीर्थ बामंवारजी (राजस्थान)

श्री चिंतामणि आदेश्वर भगवान - तीर्थ इसवाल (राजस्थान)

नमो जिनाणं