संपूर्ण विश्व में एकमात्र
जैन धर्मं ही
इस बात में
आस्था रखता हैं
की प्रत्येक आत्मा
में परमात्मा बनने
की शक्ति विद्यमान
हैं. अर्थात भगवन
महावीर स्वामी की तरह
ही प्रत्येक व्यक्ति
जैन धर्मं का
ज्ञान प्राप्त करके
उसमे सच्ची आस्था
रखकर, उस अनुसार
आचरण (कर्म) करके
बड़े पुण्योदय से
उसे प्राप्त दुर्लभ
मानव योनी का
'एक मात्र सच्चा
व अंतिम सुख'
संपूर्ण जीवन जन्मा-मरण के
बंधन से मुक्त
होने वाले कर्म
करते हुए मोक्ष
महाफल पाने हेतु
कदम बढ़ाना तथा
उसे प्राप्त कर
वीर महावीर बन
दुर्लभ जीवन की
सार्थक कर सकता
है
*⛰️कितने सालों से चली आ रही है ?* छ गाउं की यात्रा में कौन से स्थल आते है । 🛕यानी मंदिर . भगवान नेमिनाथ के समय हुवे हुए। कृष्ण महाराजा के पुत्रों में शाम्ब और प्रध्युमन नाम के दो पुत्र थे। भगवान नेमीनाथ की पावन वाणी सुनकर शाम्ब -प्रध्युमन जी को वैराग्य हुआ। भगवान के पास दीक्षा लेकर परमात्मा की आज्ञा लेकर शत्रुंजय गिरिराज के उपर तपस्या और ध्यान करने लगे । अपने सभी कर्मो से मुक्त होकर *फागण सुदी तेरस के दिन शत्रुंजय गिरिराज के भाडवा के पर्वत* के ऊपर से मोक्ष – मुक्ति पाये थे उन्हीं के दर्शन करने के लिए . लगभग 84 हजार वर्षों से यह *फागण के फेरी* चल रही है फागण के फेरी में आते हुए दर्शन के स्थल. दादा के दरबार मे से निकल ने बाद रामपोल दरवाजे *छ गाउ की यात्रा प्रारंभ* होती है . उसमें 5 दर्शन के स्थल है *1 – 6 गाउ की यात्रा* प्रारंभ होती ही 100 पगथिया के बाद ही देवकी माता के 6 पुत्र का समाधि मंदिर आता है वो यहा मोक्ष गयें थे . [कृष्ण महाराज के 6 भाई का मंदिर] *2- उलखा जल* नाम का स्थल आता है . (जहां दादा का पक्षाल आता है ऐसा कहते हे वो स्थल ) यहां पर आदिनाथ भगवान के पगले है *3- चं
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