पापा : बेटा आप मेरे साथ मंदिर आकर क्या करोगे ? आपको प्रार्थना नहीं आती है . http://jainismsansar.blogspot.com फिर भी बेटा पापा के साथ मंदिर गया उसके पापा मंदिर में प्रार्थना … स्तुति … स्तवन करने लगे। तभी उन्होंने देखा कि उनका बेटा भी कुछ बोल रहा है। बहार आकर पापा ने बेटे से पूछा - आपको तो प्रार्थना … स्तुति … स्तवन कुछ भी नहीं आते। तो आप मंदिर में क्या बोल रहे थे ?? बेटा - मेने पूरी हिंदी वर्ण माला २ बार बोली और भगवन से कह दिया कि इसमे से आप आपकी प्रार्थना बना लेना। बेटे का जवाब सुन कर पापा कि आँख भर आई। " शब्दो कि प्रार्थना तो हम अनेक बार कि होगी पर प्रार्थना में भाव होना जरूरी है। " पापा के पास शब्दो कि प्रार्थना थी परन्तु बच्चे कि प्रार्थना में भाव थे। God see Intention not Presentation ...
सत्य, अहिंसा, अस्तेय, ब्रह्मचर्य, अपरिग्रह जन्म से जैन होना भी सौभाग्य की बात है, पर उससे भी परम सौभाग्य की बात है.. जीवन में दया, क्षमा, सत्य, शील, संतोष, सदाचार आदि जैनत्व के संस्कार आना