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श्री उवसग्गहरं स्त्रोत ~ Shri Uvasaggaharam strotra

मान्यता है कि इस स्त्रोत की रचना अंतिम श्रुतकेवली श्री भद्रबाहु स्वामी जी ने करी थी।
इस स्त्रोत की यह विशेषता है कि इसमे किसी लौकिक देव देवी की स्तुति नही है, बल्कि इसमे तो देवाधिदेव भगवान पार्श्वनाथ की भक्ति की गई है।
सामान्य तौर पर इसे 27 बार पढा जाता है।
इस स्त्रोत का नाम ही उवसग्गहरं है। अर्थात उपसर्ग (दुख/विपत्ति) को हरने(समाप्त करने) वाला।
और जिनदेव की शुद्ध मन से की हुई भक्ति से हुई निजर्रा से तो दुखो का शमन होना निश्चित ही है।
इस विपत्ति के समय मे नवकार महामंत्र के जाप/उच्चारण के बाद उवसग्गहरं स्त्रोत भी पठनीय है।
हम भी यही मंगलकामना करते ही की, शीघ्र ही हम सभी को इस विश्वव्यापी महामारी से राहत मिले। 
   
श्री #उवसग्गहरं स्त्रोत
उवसग्गहरं पासं, पासं वंदामि कम्म-घण मुक्कं ।
विसहर विस निन्नासं, मंगल कल्लाण आवासं ।।1।।
अर्थ : प्रगाढ़ कर्म- समूह से सर्वथा मुक्त, विषधरों के विष को नाश करने वाले, मंगल और कल्याण के आवास तथा उपसर्गों को हरने वाले भगवान पार्श्वनाथ को मैं वंदना करता हूं !

विसहर फुलिंग मंतं, कंठे धारेइ जो सया मणुओ ।
तस्स गह रोग मारी, दुट्ठ जरा जंति उवसामं ।।2।।
अर्थ : विष को हरने वाले इस मंत्ररूपी स्फुलिंग को जो मनुष्य सदैव अपने कंठ में धारण करता है, उस व्यक्ति के दुश ग्रह, रोग बीमारी, दुष्ट, शत्रु एवं बुढापे के दुःख शांत हो जाते है !

चिट्ठउ दुरे मंतो, तुज्झ पणामो वि बहु फलो होइ ।
नरतिरिएसु वि जीवा, पावंति न दुक्ख-दोगच्चं।।3।।
अर्थ : हे भगवान ! आपके इस विषहर मंत्र की बात तो दूर रहे, मात्र आपको प्रणाम करना भी बहुत फल देने वाला होता है ! उससे मनुष्य और तिर्यंच गतियों में रहने वाले जीव भी दुःख और दुर्गति को प्राप्त नहीं करते है!  

तुह सम्मत्ते लद्धे, चिंतामणि कप्पपाय वब्भहिए ।
पावंति अविग्घेणं, जीवा अयरामरं ठाणं ।।4।।
अर्थ : वे व्यक्ति आपको भलीभांति प्राप्त करने पर, मानो चिंतामणि और कल्पवृक्ष को पा लेते हैं और वे जीव बिना किसी विघ्न के अजर, अमर पद मोक्ष को प्राप्त करते है!

इअ संथुओ महायस, भत्तिब्भर निब्भरेण हिअएण ।
ता देव दिज्ज बोहिं, भवे भवे पास जिणचंद ।।5।।
अर्थ : हे महान यशस्वी ! मैं इस लोक में भक्ति से भरे हुए हृदय से आपकी स्तुति करता हूं! हे देव! जिन चंद्र पार्श्वनाथ ! आप मुझे प्रत्येक भाव में बोधि (रत्नत्रय) प्रदान करें !

In this tough pandemic situation listen Uvasaggaharam stotra daily for multiple benifets 
Below is link for non stop 27 times Uvasaggaharam strotra .. 👌🏻👌🏻
https://youtu.be/HkkWGpv3Dh4

Daily Jaap is recommended.. 
Listen daily.. save link, download in YouTube
#jainism 


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